सदैव ही इतिहास में,क्यूँ कर बेटियां ही जलती हैं। सदैव ही इतिहास में,क्यूँ कर बेटियां ही जलती हैं।
ऐसा लगता है जैसे हम नहीं, कविता हमें रच रही है। ऐसा लगता है जैसे हम नहीं, कविता हमें रच रही है।
ऐ बादल तुम क्यों रोते हो,तुम तो गगन के साथी होकोयल तुम क्यों मुंह लटकाये,चुपचाप सी बैठी हो ऐ बादल तुम क्यों रोते हो,तुम तो गगन के साथी होकोयल तुम क्यों मुंह लटकाये,चुपचाप ...
लगने लगी है उन्हें भी अब इश्क की हवा... लगने लगी है उन्हें भी अब इश्क की हवा...
पास बैठो कि तुम पर मै कविता लिखूं, तेरे नयनों को बहती मै सरिता लिखूं। पास बैठो कि तुम पर मै कविता लिखूं, तेरे नयनों को बहती मै सरिता लिखूं।
कविता यथार्थ की तस्वीर भर नहीं यथार्थ भी है। कविता यथार्थ की तस्वीर भर नहीं यथार्थ भी है।